बोल
आजकल लोग बोलने से पहले सोचते ही नहीं हैं ,,
फिर कहते है मेरा वो मतलब नहीं था सोच विचार कर
बोलने की नीति लगता है ख़त्म होती जा रही है …
ऐसे जोश में आकर बोलने का क्या मतलब जो अगले पल माफ़ी
मागनी पड़े ,,बुद्धिजीवियो के देश का यह हाल है मानसिक कंगाली है,,,,,,,,,,