बोल प्यार के बेजुबान ही होते हैं
होते हैं भगवान या नहीं होते हैं।
कहने को इंसान, क्या नहीं होते हैं।
भीतर की सच्चाई देख नहीं सकतीं,
दीवारों के सिर्फ कान ही होते हैं।
आँखें दिल की सब बातें कह देती हैं,
बोल प्यार के बेजुबान ही होते हैं।
माँ बेटी बहुएं बेटे खुद में गुमसुम,
महलों में अक्सर मकान ही होते हैं।
अपमानों के घूँट पचा ले जाते हैं,
क्षमाशील सचमुच महान ही होते हैं।
संजय नारायण