*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)
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बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन
सतयुग द्वापर चुप रहे , त्रेता दीखा मौन
त्रेता दीखा मौन , अचानक कलयुग आया
ऑंसू लेकर साथ , दुखी हो- हो बतलाया
कहते रवि कविराय, नब्ज सब आज टटोलो
किसमें सेवा भाव , शेष माँ के प्रति बोलो
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451