बोलो क्या कहना है बोलो !!
,
बोलो क्या कहना है बोलो !!
••••••••••••••••••••••••••••
यदि तुम मेरी कविता पढ़ लो ,
कविता महा-ख्याति पा जाये !
भूले से पुस्तक यदि पढ़ लो,
तो वह महा-ग्रंथ कहलाये !!
—————————-
उस दर पर जाने का फिर-फिर,
फिर-फिर मन होता है-
जिस दर पर जा बिन माँगे ही ,
बिन माँगे वांक्षित मिल जाये !
—————————-‐-
बहुत बड़ी है भूल यहाँ पर ,
भूल यहाँ पर बहुत बड़ी है –
जो बिन माँगे साथ निभाये,
वो ही कद्र यहाँ ना पाये!
———————————
हाथ बढ़ा कर जिस ने सच्चा,
सच्चा जिस ने प्यार किया है –
मतलव होगा ! के संशय में ,
मान करे अपमान ही पाये !
—————————-‐-
दुनियां है यहाँ बिन माँगे भी,
देना जैसे श्राप किया है –
लेकिन देने वाले देंगे,
भले ही याचक मन भरमाये !
——————————-
माँगे से भी नहीं मिले जब,
तब कुछ पाने की कीमत है-
गर्मी की कीमत तब ही है,
जब जाड़े में इठ-इठ जाये !
————————‐——–
कुदरत से बढ़ कर वह दर भी,
कहाँ मिलेगा कहाँ मिलेगा-
कुदररत ऐसा दर है यारो,
बिन माँगे सब कुछ मिल जाये !
—‐————————————————-
मौलिक चिंतन/स्वरूप दिनकर, आगरा
06/01/2024
—————-‐————-