बोली बिहार
सुनी….. ऐ बहादुर सरकार
जेकर बेटा के खोराकी माड़ भात नीमक,
जेकर घर के दिवार के खा गेल दीमक,
जब गरजी त माँगी आपन मूल अधिकार,
सुने के पड़ी जब बोली बिहार।
जेकर बाढ़ में बह गेल धान जान थरिया,
जेकर छोटका कमाए जाला दिल्ली बम्बे झरिया,
बबुनी रोए जेकर भूखे मारी चीत्कार,
सुने के पड़ी जब बोली बिहार।
बान्ही मजुरा जब माथा प फेंटा,
खिच लीही कुर्सी घमंड होई हेठा,
ठोकी के ताल जब दिहि ललकार,
सुने के पड़ी जब बोली बिहार।
गुरु चेला सब के बजावऽ तानी लाठी,
पूछ देता केहु त भगावऽ तानी डाँटी,
शेर के खाल में घुसल बानी बिलार,
सुने के पड़ी जब बोली बिहार
ऐ बहादुर सरकार!!!
…..राणा…..