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8 Jun 2022 · 1 min read

बोली आ भासा

बोली आ भाषा-हर जानवर के बोली अलग अलग हैय। बोली से पहचानल जा सकै हैय कि इ कोन जानवर के बोली हैय।गाय के हैय कि भैस के हैय।बाघ के हैय कि शेर के हैय।कुत्ता के हैय कि सियार के हैय।हाथी के हैय कि घोड़ा के हैय। बंदर के हैय कि भालू के हैय। कौआ के हैय कि तोता के। बगरा के हैय कि परबा के।तहिना आदमी के हैय कि कोनो जानवर वा पंछी के।कहे के मतलब बोली के आवाज के।त कोन आधार पर कहल जाय हैय कि आदमी के बोली पांच कोस पर बदल जाइ छैय। वास्तव मे बोली के आवाज न बदलैय छैय। वरन् बोली के भासा बदल जाइ हैय। जानवर के बोली मे भासा न हैय। आदमी के बोली मे भासा सन्निहित हैय। आदमी के संदर्भ मे जेकरा हम बोली कहैइ हैय बास्तब मे वो भासा हैय जे स्थान विशेष पर बदल जाइ छैय।वा शैली मे परिवर्तन होइ जाइ हैय।अहि लेल कोनो भासा के विभिन्न शैली होइ जाइ हैय।यथा मैथिली के विभिन्न शैली देखल जाइ हैय जेकरा भासा विज्ञानी केन्द्रीय,दच्छिनी, पच्छमी मैथिली कहैइ हैय। वास्तव मे सभ विभिन्न शैली मे मैथिली हैय।एकरा बोली न कहल जा सकैय हैय। आ वरन् भासा हैय।आ इ कोनो भासा मे हो सकैय हैय।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।

Language: Maithili
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 217 Views
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