बोलबाला
हुए इक्कट्ठे पापी कायर, धर्मसत्य ही दुश्मन उनका।
दुष्प्रचार है शस्त्र और झूठ शास्त्र है उनके मन का।।
नहीं चलेंगे सही मार्ग पर, सत्यमार्ग को कहेंगे गंदा।
चौबीस घंटे बस पाप करेंगे, धर्म कर्म को कहेंगे धंधा।।
उनकी यारी बहुत सहज है, उनका यारों झुंड बड़ा।
सत्ता समाज व चौराहों पर, तुम्हें दिखेंगे सदा खड़ा।।
सत्यधर्म को झुठलाते हैं, खुद सामाजिक कहलाते है।
मायावी हैं उनके विचार, हो दर्द तुम्हे तो सहलाते है।।
अगर चाहिए काम नाम, तो इनके संग यारी कर लो।
सत्यधर्म सबछोड़ो “संजय”, पेटभरो होशियारी कर लो।।
“संजय”