बोलती है यह मोमबत्ती
बोलती है यह मोमबत्ती
हूं मैं एक अहम हिस्सा
हर प्राणी की जिंदगी का
हर प्राणी की जिंदगी का
मेरे होते ना रहता अंधेरा
हूं मैं एक रोशनी की किरण
खुद जलती हूं
रोज पिघलती हूं
पिंगल पिंगल मोम बन जाती हूं
पिंगल पिंगल मोम बन जाती हूं
देकर अपने प्राणों की आहुति
तुम्हें रोशनी दे जाती हूं
बोलती है यह मोमबत्ती
देकर अपने प्राणों के आहुति
आज इतनी खुश हूं मैं
अपने प्राणों की आहुति देने से
आज यह संसार कुछ बन बैठा है
कोई कलेक्टर कोई आईपीएस
आज यह भारत कुछ बन बैठा है
कुछ बन बैठा है
” जय हिंद “