बोतल भरी शराब से है
बोतल भरी शराब से है
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बोतल भरी शराब से है,
जोबन भरा शबाब से है।
कैसे कहूँ बयान को मैं,
नीयत ज़रा खराब से है।
कोई न ढूंढ पा सका ये,
गलती बड़े हिसाब से है।
चोरी छुपे निगाह देखी,
ख़ानम बड़े नवाब से है।
दिन में रही देखती है,
आँखें भरी ख्वाब से है।
मन को न भा रही जो,
दुर्गंध सड़े कबाब से है।
खुल न पाया मनसीरत,
हालत बड़ी दवाब से है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)