“बोझ”
हमने उन्हे चाहा बहुत टूट कर,
,हमने उन्हे चाहा बहुत टूट कर,
पर वो वापिस न्ही आए ,
हमसे रूठ कर।
ना जाने क्या गलती थी हमारी,,
जो आ गई हमारी किस्मत मै मुश्किलें सारी,
विश्वास का नाता जोडा था,
पर अध्विश्वासजीत गया,
अब तो जिन्दगी भी भारी लगने लगी हमे हमारी,