बोझ गधा ही ढोता क्यों है?
शेर नहीं मुँह धोता क्यों है?
बोझ गधा ही ढोता क्यों है?
मानव मानव का दुश्मन बन
बीज जहर के बोता क्यों है?
मनमानी मन की रोको तो
आपा अपना खोता क्यों है?
हार गया तो हार मान ले,
जार जार फिर रोता क्यों है?
मुक्त गगन के गीत बजाकर,
कैद कर लिया तोता क्यों है?
हर बन्दा दुःख में ये सोचे
जग में वो इकलौता क्यों है?
‘सरल’ आपने ये भी सोचा,
आखिर ऐसा होता क्यों है?