बॉस के घर ( व्यंग )
बॉस के घर ( व्यंग )
बॉस के घर से आया नौकर
लगा रहा था जब वो ठोकर
गिर गिर कर जब और गिरा वो
एक दहीभल्ला बना हुआ था नौकर
हाँ हाँ हाँ ….. हाँ हाँ हाँ
बॉस के घर से आया होकर
चुप बैठा था सब कुछ खोकर
आदत फिर भी वही भुक्कड़ सी
जिस्मों में पड़ा रहता था सोकर
हाँ हाँ हाँ ….. हाँ हाँ हाँ
बॉस के घर से आया होकर
तुम ना जानो सब आई मुँह धोकर
बोला कितनी सूंदर बाला घर में,
साला, दहीभल्ले बना डाला घर में,
हाँ हाँ हाँ ….. हाँ हाँ हाँ
आपका अपना दोस्त तनहा शायर हूँ