*बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)*
बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)
बॉंस की चिड़िया बैठाने का अर्थ हस्ताक्षर करना होता है। नौकरी की शुरुआत में तो सभी बॉस अपने हस्ताक्षर इस प्रकार करते हैं कि उनका नाम पूरी तरह पढ़ा जा सके । लेकिन जैसे-जैसे हस्ताक्षर करने का बोझ बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे ही हस्ताक्षर एक उड़ती चिड़िया के चित्र में परिवर्तित होते रहते हैं। अंत में आकर एक चिड़िया-भर रह जाती है, जिसे बॉस की मोहर के ऊपर बैठना मात्र रह जाता है।
यह व्यावहारिक बात है। जब आदमी को दिन भर में पचासियों हस्ताक्षर करने होंगे तब वह सिवाय बैंक के चेक के बाकी सभी जगह चिड़िया ही बैठाएगा।
बॉस का एक सेक्रेटरी होता है। उसके यों तो बहुत से काम होते हैं लेकिन मुख्य कार्य कागज पर बॉस की चिड़िया बैठवाना होता है। यह कार्य केवल बॉस के सेक्रेटरी के माध्यम से ही हो सकता है। इसलिए जिसको भी अपने आवेदन-पत्र पर बॉस की चिड़िया बैठाना होता है वह सेक्रेटरी से संपर्क करता है। सेक्रेटरी मामले को समझता है और उसके बाद प्रकरण उचित होने पर उसे बॉस के सामने चिड़िया बैठाने के लिए प्रस्तुत कर देता है।
निन्यानवे प्रतिशत मामलों में सेक्रेटरी द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र पर बॉस की चिड़िया बैठ जाती है। कुछ लोग सीधे बॉस से संपर्क करते हैं। उसके बाद भी उन्हें बॉस के सेक्रेटरी के पास ही जाना पड़ता है क्योंकि कागज तो बॉस का सेक्रेटरी ही तैयार करेगा।
सरकारी दफ्तरों में कहने को तो सेक्रेटरी बॉस का अधीनस्थ होता है, लेकिन वास्तव में वह एक समानांतर सत्ता होती है। उसे न तो बॉस के द्वारा पद पर नियुक्त किया गया होता है और न ही वह बॉस के द्वारा हटाया जा सकता है। सेक्रेटरी जैसा भी है, झेलना पड़ेगा। इसी तरह अगर बॉस मीनमेख वाला है, सेक्रेटरी द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजों पर हस्ताक्षर आसानी से नहीं करता, तब ऐसे खडूस बॉस को सेक्रेटरी को झेलना पड़ता है।
अनेक बार सेक्रेटरी भ्रष्ट होता है तथा बॉस ईमानदार होता है। कई बार बॉस भ्रष्ट होता है, सेक्रेटरी ईमानदार होता है। कई बार दोनों ईमानदार होते हैं। कई बार दोनों भ्रष्ट होते हैं। दफ्तरों में काम गुणवत्ता के आधार पर अनेक बार संपन्न हो जाते हैं। होना भी चाहिए। लेकिन कई बार जब बॉस और सेक्रेटरी दोनों ईमानदार हो जाते हैं, तब लोगों को अपने गलत काम करने में बड़ी मुसीबत झेलनी पड़ती है। सेक्रेटरी ही किसी कागज को चिड़िया बैठाने के लिए बॉस के सामने प्रस्तुत नहीं करता । उसे रिश्वत दी भी नहीं जा सकती क्योंकि वह ईमानदार है।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
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