बैठ जाओ पास
******बैठ जाओ पास******
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दो घड़ियाँ बैठ तो जाओ पास,
करनी है तुम से दिल की बात।
पूछना है, क्या हुई खता बता,
क्यों नही करते हो दो पल बात।
बताना है तुमको यह एहसास,
तुम बिन नहीं है कोई औकात।
जताना है हक , तुम पर हमारा,
काटे नहीं कटते दिन और रात।
न चलेगा कोई बहाना तुम्हारा,
देनी होगी प्रेम की सौगात।
छोड़ दो तितलियों पर मंडराना,
होगी फिर आँसुओं की बरसात।
हर जन्म मिले जो साथ तुम्हारा,
हरगिज़ देंगे हम मौत को मात।
मनसीरत को न जीना गवारा,
सातों जन्म मिले तुम्हारी दात।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)