बैगन के तरकारी
धर दुआर के चौखट ठूनकें छोटकी
मंझिला रोये मार दहाड़ी,
आ थारिया फेंक के राजा भगले,
का करीं हे बलिहारी
हाय रे बैंगन के तरकारी!
ओन टोन से गोतिया बोले
देखे गाछी निहारी
भरल निठाला आवे पावनियाँ
पूछे बीच बाजारी
हाय रे बैंगन के तरकारी!
लोटा जाँता हंडिया तसला
फेंकल भरल घर के दुआरी
दुपहर के भोजन के खातिर
फुट परल भाईचारी
ह बाँटें के तैयारी
हाय रे बैंगन के तरकारी!!!