बैकबोन ( संस्कार )
अजीब सा …..
सीलने लगा है ये शहर
सीलने से सड़ने लगे हैं हाथ – पैर
गलने लगी है रीढ़ की हड्डी ,
अगर धूप ना निकली
सीलन इसी तरह बढ़ी
तो लगता हैं पूरा शहर
बिना रीढ़ की हड्डी के हो जायेगा
और ” बैकबोन ” का नाम
इस शहर से हट जायेगा ।
स्वरचित एवं मौलिक
(ममता सिंह देवा , 20/01/90 )