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28 Feb 2022 · 1 min read

*बैंक से खा जाइए 【हास्य गीतिका】*

बैंक से खा जाइए 【हास्य गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
जिंदगी में आदमी को और अब क्या चाहिए
लोन लेकर एक तगड़ा बैंक से खा जाइए
(2)
हो रहे किस्तों में घोटाले उजागर आजकल
चल रहा है सीरियल जो शौक से दिखलाइए
(3)
अब करोड़ों की रकम तो छोटे-मोटे खा रहे
आप चूना बैंक को अरबों का तो लगवाइए
(4)
आपको बस एक घोटाला बड़ा-सा करना है
अपनी फोटो मुफ्त में अखबार में छपवाइए
(5)
कर्ज लेकर बैंक से ,उसको न लौटाना पड़े
यह हुनर है ,सीखकर इसको कहीं से आइए
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर【उत्तर प्रदेश]
मोबाइल 999 7 61 5451

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