बे वक्त ना आया जाया करो
बे वक्त ना आया जाया करो
मेरे खलल को टाल जाया करो
सहर पर भी निकल जाया करो
कदम से कदम भी मिलाया करो
शाम को लोटूं तो मिल जाया करो
दरवाजे पर झलक दे जाया करो
सर्द रातें है छत पर ना आया करो
झरोखे से शॉल में दिख जाया करे
ख्वाबों में आ खलल ना डाला करो
यूं बे वक्त आया जाया ना करो
लक्ष्मण सिंह
जयपुर