Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2018 · 1 min read

बे-मोल बिके

एक बूंद छलक पलकों से आई,
मैंने उसे वफ़ा माना।
जिसको पूजा दिलने मेरे ,
मैंने उसे खुदा माना।
भेद क्या होता गैरों में,
अब तक न मैंने जाना,
हर आंख से आंसू पूंछा है,
जो मिला उसे अपना मना।
बस अफ़सोस रहा दिल में,
जब वक्त पड़ा मुह मोड़ खड़े थे,
रिस्ते नाते तोड़ खड़े थे।
जब पहुचा मैं सम्मुख उनके,
वह दोनों हाथ जोड़ खड़े थे।
बोलो अब तक किया जो तुमने,
पर अब आगे कुछ मत करना।
हम जियें जैसे कष्टों में पर,
अपनी आंखों मत भरना।
तब छाले फूटे और ज़ख्म रिशे
जिनमे चेहरे सब अपनो के दिखे।
क्या कुछ मोल बफा का होता है?
कुछ हो? तो यारो बतला देना,
हम तो यहां बे-मोल बिके हैं।

सर्वाधिकार सुरक्षित 08/08/2018 स्व-रचित कविता द्वारा ,,राजेन्द्र सिंह,,

Language: Hindi
1 Like · 237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आप्रवासी उवाच
आप्रवासी उवाच
Nitin Kulkarni
है नयन में आस प्यासी।
है नयन में आस प्यासी।
लक्ष्मी सिंह
"तन-मन"
Dr. Kishan tandon kranti
एक देशभक्त की अभिलाषा
एक देशभक्त की अभिलाषा
Sarla Mehta
श्याम
श्याम
Rambali Mishra
गाय
गाय
Vedha Singh
सबकी विपदा हरे हनुमान
सबकी विपदा हरे हनुमान
sudhir kumar
कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी आओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
sushil sarna
हृदय की वेदना को
हृदय की वेदना को
Dr fauzia Naseem shad
पर्वत 🏔️⛰️
पर्वत 🏔️⛰️
डॉ० रोहित कौशिक
कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
* सागर किनारे *
* सागर किनारे *
भूरचन्द जयपाल
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
*राममय हुई रामपुर रजा लाइब्रेरी*
*राममय हुई रामपुर रजा लाइब्रेरी*
Ravi Prakash
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रिश्ते और तहज़ीब
रिश्ते और तहज़ीब
पूर्वार्थ
संसार में
संसार में
Brijpal Singh
आधार
आधार
ललकार भारद्वाज
नेतृत्व
नेतृत्व
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हो न मुख़्लिस वो है फिर किस काम का
हो न मुख़्लिस वो है फिर किस काम का
अंसार एटवी
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
🙏गजानन चले आओ🙏
🙏गजानन चले आओ🙏
SPK Sachin Lodhi
तेरी यादों के किस्से, हमारे जख्मों में मले गए
तेरी यादों के किस्से, हमारे जख्मों में मले गए
विशाल शुक्ल
मेरी फितरत तो देख
मेरी फितरत तो देख
VINOD CHAUHAN
**हो गया हूँ दर बदर चाल बदली देख कर**
**हो गया हूँ दर बदर चाल बदली देख कर**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गीत- जताकर प्यार दिल से तू...
गीत- जताकर प्यार दिल से तू...
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...