बे-इंतिहा मोहब्बत करते हैं तुमसे
छुपाना भी चाहो छुपा ना सकोगे
मुलाकात जग जाहिर हो चुकी है
बे-इंतिहा मोहब्बत करते हैं तुमसे
ये बात भी जग जाहिर हो चुकी है
बे-इंतिहा मोहब्बत…………
तकते हैं यूँ लोगआते जाते हमको
देखते हैं हर पल मुस्कुराते हमको
छुपती नहीं खुशी दिल की हमारी
हर बात ये जग जाहिर हो चुकी है
बे-इंतिहा मोहब्बत………….
कोई पूछता ते हमें हंसी आती है
नजर खुदबखुद ही झुक जाती है
छुपाते हैं मगर इज़हार हो जाता है
हर बात ये जग जाहिर हो चुकी है
बे-इंतिहा मोहब्बत…………
तुम आज हमको यूँ छुपा लो कही
बाहों में बस हमें तुम उठा लो यूँही
“विनोद”छुपाना क्या रह गया अब
हर बात ये जग जाहिर हो चुकी है
बे-इंतिहा मोहब्बत…………
:– 10/06/22
( विनोद चौहान )