बेहतर था हम अकेले मस्त रहते
2122 + 2122 + 2122
बेक़रारी ही मिली है इश्क़ करते
बेहतर था हम अकेले मस्त रहते
क्या कहें अब ग़म के मारे यार तुमसे
लाख अच्छा तो ये होता रब से लड़ते
इश्क़ की दुनिया में दाख़िल, क्यों हुए हम
दिन गुज़रते अच्छे, ना यूँ आह भरते
जान जाते जो ये दिल का हाल होगा
वो भी खुश रहते हमेशा, हम न कुढ़ते
काश! मैं धनवान होता आप जैसा
आज मेरा हाथ थामे तुम भी चलते
तुम चले आओ मिरी अब साँस टूटे
थक गया है देख सूरज रोज़ ढ़लते