बेसबब वफाओं के फूल क्यों खिलाते हो ।
बेसबब वफाओं के फूल क्यों खिलाते हो,
बेवजह की बातों में वक्त क्यों गंवाते हो।
साथ मेरे चलते हो, साथ मेरे आते हो,
मेरी राह के कांटे बारहा हटाते हो
व्यर्थ मेरी आंखों को स्वप्न सौ दिखाते हो,
बेजुबान बनकर क्यों मुझको आजमाते हो
बेसबब वफाओं के फूल क्यों खिलाते हो,
बेवजह की बातों में वक्त क्यों गंवाते हो ।
मेरे मौन को मुखरित क्यों भला कराते हो,
मौन मेरी मर्यादा मान क्यों भुलाते हो
बातें बना आंखें मिला क्यों यूं मुस्कुराते हो
प्रीत मेरी पूजा है क्यों समझ न पाते हो
बेसबब वफाओं के फूल क्यों खिलाते हो
बेवजह की बातों में वक्त क्यों गंवाते हो ।
चार दिन का जीवन है, चार दिन का यौवन है
चार दिन की प्रीत है जग की ऐसी रीत है
प्रेम-अगन अहसास सुनो क्यों छुपाते हो
प्रेम-वीर बन क्यों न हाले दिल जताते हो
बेसबब वफाओं के फूल क्यों खिलाते हो,
बेवजह की बातों में वक्त क्यों गंवाते हो
अनुराग दीक्षित