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4 Jan 2022 · 1 min read

बे’सबब करने लगे लोग अदावत हमसे।

दोस्तो,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले,,,,,,,,!!

ग़ज़ल
=====

बे’सबब करने लगे लोग अदावत हमसे,
कल तक सिखी,जिसने शराफत हमसे।
========================

कोई खास नही दरख्व़ास्त उनसे हमारी,
वो आज मगर क्यूं करते बगावत हमसे।
========================

कदम चार हैसियत से कम जरुर थे हम,
दो कदम आगे हुऐ तो,हुऐ आहत हमसे।
========================

ये कैसी हो गई जलन जमाने को दोस्तो,
आज लगी होने उनको शिक़ायत हमसे।
========================

शबो-रोज जीते रहे, मौजो की मस्ती मे,
झुके सर ऐसी न हुई कोई शरारत हमसे।
========================

हर पल हर हाल खामौश रहे सदा “जैदि”,
खुले न जुबां, रखते है लोग चाहत हमसे।
========================

मायने:-

बे’सबब:- बेवजह
अदावत:-शत्रुता
दरख्व़ास्त:-निवेदन
शराफत:-भद्रता
बगावत:-विद्रोह
आहत:- जख्मी
शबो-रोज:-रात और दिन
शरारत:-पाजीपन (दृष्टता)
चाहत :-इच्छा

शायर:-“जैदि”
एल.सी.जैदिया “जैदि”

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