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11 Sep 2020 · 1 min read

— बेशक दूरियाँ हैं —

बेशक
दूरियां बढ़ गयी हैं अपनी
पर
तेरे हिस्से का वक्त
आज भी
तन्हा ही गुजरता है

दिल में
अरमान हुआ करते थे
पर आज भी
उनका भार
मेरे अंजाम के साथ
ही चलता है

प्रेम पैदा
किया कहाँ जाता है
अनजाने में
हो ही जाता है
उस प्रेम का एहसास
आज भी तेरी याद
को प्यार किया करता है

भटकने को
तो राहें बहुत थी
कभी मैखाने
तो कभी महफिलें बहुत थी
कसम खाई थी
कभी जुदा होंगे नहीं
इस लिए तेरी याद के
सहारे चला करता हूँ

बहुत समझाया
न जाने किस किस ने
पर तनहाई में
तेरी याद ने सताया मुझ को
कदम कोई गलत
न उठ जाए जिंदगी में
इस लिए तेरी याद के
सहारे ही जिया करता हूँ

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
2 Comments · 230 Views
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