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27 May 2024 · 1 min read

बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।

बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
आंखों में सपना और मन में जज्बात भर के लाए थे।
तुमने भी हमें बड़े सम्मान और प्यार से संभाला ।
कुछ दिन असहजता हुई पर हमने भी अपने मन को समझाया। की संभल कर रहेंगे और ख्याल रखेंगे कि किसी को गम ना हो ।
और हमारे कारण किसी की आंख नम ना हो।
जाते-जाते कुछ ऐसा कर जाएंगे,
कि सबके मन में अपना एक घर कर जाएंगे।

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