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25 Jul 2016 · 1 min read

बेवफ़ा है ज़िन्दगी और मौत पर इल्ज़ाम है

बेवफ़ा है ज़िन्दगी और मौत पर इल्ज़ाम है
मौत तो इस ज़िन्दगी का आखिरी आराम है

लोग जाने क्यों भटकते हैं खुदा की ख़ोज में
खोजिये ग़र माँ के क़दमों के तले हर धाम है

लीजिए पढ़ चाहे गीता बाइबल या फिर क़ुरान
सबमें केवल इक मुहब्बत का लिखा पैगाम है

मंज़िलों का रास्ता मालूम है सबको मगर
डर गया जो मुश्किलों से शख़्स वो नाकाम है

हुक्मरानों के लिये सारी मलाई इक तरफ़
लुट रहा सदियों से केवल आदमी जो आम है

सच से नाता तोड़कर जाते मुसाफ़िर याद रख
झूठ की परवाज़ अच्छी पर बुरा अंजाम है

देख पाता ही नहीं अपनी गलतियाँ आदमी
और सच दिखलाने वाला आइना बदनाम है

हर तरफ़ बदकारियाँ दुश्वारियां इतनी हुई
आदमीयत की हरिक कोशिश हुई नाकाम है

मर चुका ईमान, कठपुतली बने दौलत के सब
दौरे-हाज़िर में हरिक इंसान का इक दाम है

माही

3 Comments · 373 Views

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