बेवफा
हाइकु
बेवफा
शाम सिंदुरी
हरजाई सूरज
घर न लौटा।
बसी रूह में
कुछ यादें सुहानी
बेवफा पिया।
भोला मनवा
हरजाई बालम
रोज सताए।
बूंदें शक की
हरजाई मन में
बेचैनी लातीं।
युवा युवती
बेवफा महबूब
जीवन नर्क।
रोए बिलखे
विरहन प्रेयसी
जफा पिया की।
तोड़े विश्वास
साजन हरजाई
देता आघात।
नीलम शर्मा