बेवफा हुजूर हो
चाहे बेवफा हुजूर हो
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मेरी आँखों का नूर हो,
बेशक नजरों से दूर हो।
दीवाना तेरी सूरत का,
दीवानगी का फितूर हो।
राहें कठिन हैं प्यार की,
लक्ष्य जैसे कोहिनूर हो।
मन में तस्वीर बसाई है,
मांग का तुम सिंदूर हो।
तुम बिन ठिकाना नहीं,
आशिकी का सरूर हो।
देख कर तुम्हें,दिल भरे
जिन्दगी का दस्तूर हो।
रग रग में खोलती हो,
लहू में मिले जरूर हो।
मनसीरत का मान हो,
आप बेवफा हुजूर हो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)