बेवफा सनम
गजल
बेवफा सनम
तेरी लबों की लाली ने बताया
एक दिल है जो दूसरे दिल को सताया
तरस आता है तुझ पर
भरोसा नहीं है मुझ पर
टूटती इमारत की पहचान होती है।
मुहब्बत से मरम्मत तक
इबादत बरसती है।
दिल है जख्मों से भरा इसकदर
ढूंढते फिरोगी गैरों में दरबदर
अहले नज़र ,पहले नज़र
दर्द ए दिल की दवा नही है।
दुआ ले जा।
सजा लो महफिल अपने हाथो से
निकलती है शुक्रिया शुक्रिया तहेदिल से
तुम जब रहोगी सनम बहारों में
गोता लगाना मेरी एतबारो में।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
छत्तीसगढ़