बेवफा प्रेमिका की रंगीन होली
कि चली गयी वो मुझको धोखा देके,
अब मोहब्बत अधूरी,रह गयी है हमारी।
वो किसी और के रंगों में भीग रही है,
और यहाँ दर्द में भीगी,जिंदगी है हमारी।।
कि सनम मुझे तेरी मीठी बातें,हमें हमेशा याद रहेगी।
भीगी हो बेकदर जिस रात में,वो बरसात याद रहेगी।।
आपको मिले इन्हीं रंगीलियों की रंगीन दुनिया हमेशा;
बस इस टूटे हुए दिल की,रब से यही फरियाद रहेगी।।
कि वो जिस्म का कुआँ,हो गए आज।
होली के रंगों में वो ऐसे,खो गए आज।।
चाहा था जिसे दोस्तों,पूरी शिद्दत से हमने;
देके धोखा वो,और किसी के हो गए आज।।
सनम तूने रंगों की होली में,
मेरी बेरंग कर दी है होली।
फिक्र तो ज़रा सा कर लेती,
मेरे प्यार की लगा दी है बोली।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा”दीपक”
मो.नं.-9628368094,7985502377