बेवफा किसको कहूँ
बेवफा किसको कहूँ
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किसको मैं बेवफा कहूँ,
मुस्कराते हुए चाँद को कहूँ,
जिसने मुझे हसीन स्वप्न दिखाए,
सितारों भरी काली रात को कहूँ,
जिन्होंने था चमकना सिखाया,
नीले आसमान को कहूँ,
जिसने निखरना सिखाया,
नभ में मंडराते मेघों को कहूँ,
जिन्होंने शीतलता सिखाई,
जिन्दगी में आए तूफानों को कहूँ,
जिन्होंनें भँवर से निकलना सिखाया,
सावन की बरसती बरसात को कहूँ,
जिन्होंने मिलन की चाह जगाई,
और प्यार की प्यास बुझाई,
प्रेयसी के गीले आँचल को कहूँ,
जिसने आँसुओं को पनाह दिलाई,
जीवनसंगिनी के साथ को कहूँ,
जिसने जिम्मेदारी से जिंदगी बिताई,
मां बाप के वात्सल्य को कहूँ,
जिसने जन्म देकर पहचान बनाई,
मनसीरत रहेगा ऋणि सभी का,
जिनसे जिससे सुख समृद्धि आई,
वफ़ा के वज़न को रहूँ सदा ढोता,
जिसने ये दुनियाँ रंगीन बनाई…..।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)