||बेवफा इंसान ||
“कैसे करे उम्मीदे वफ़ा हम
हर शख्स यहाँ बेवफा होता है
होता है जो दिल के पास बहुत
खंजर वही चुभोता है,
हर दिल बेवफा हुआ यहाँ है
हर शक्ल फरेबी नजर आता है
कैसे करू यकीं उन आखों का
बंद होने पे भी जिनमे वो नजर आता है ,
हर आबो हवा बेवफा है जहा
उनमे बंधी सांसे कैसे वफ़ा बयां करे
रूहें भी पाक नहीं जहा पे
हर जिन्दा लाशे वहा जफ़ा करे ,
मतलब की इस दुनिया में
प्यार भी मुफ्त ना मिलता है
जिन्दो की हम क्या बात करे
मुर्दो को भी पैसा लगता है ||”