बेरोजगार युवाओं का दर्द।
नमस्कार साथियों,
मैं आज आप लोगों के साथ कुछ पंक्तियां साझा कर रहा हूं।
आशा करता हूं आपको पसंद आएगी।
पंक्तियों के भाव को समझने का प्रयास कीजिए मेरी कविता सफल हो जाएगी। 🙏
लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
कब तलक ये धर्म के झगड़े कराओगे?
भक्ति हो मन में राम तो फिर कुछ ना चाहेंगे,
कब तलक ये लाखों दियाली जलाओगे?
वोटों की राजनीति को मन से विदा करो,
शिक्षा के मंदिरों को पुजारी अदा करो,
अश्कों को पोंछकरके भुखमरी सफा करो,
इस देश से बेकारी को अब तो दफा करो।।
वरना समझ लो लौट करके फिर ना आओगे,
चौबीस में ही मुंह के बल गुलाटी खाओगे,
आंखों से अश्क को भी तुम बहा न पाओगे,
वोटों की राजनीति फिर से कर ना पाओगे।।
अभिषेक सोनी
एम०एससी०, बी०एड०
ललितपर, उत्तर–प्रदेश