बेरोजगारी के धरातल पर
अज्ञात की राहों में भटक रहे हैं,
अपने सपनों के लिए लड़ रहे हैं।
आसमान की ओर उड़ान भरने की ख्वाहिश,
पर कठिनाईयों में हैं उनकी अविरल आस।
नौकरी की तलाश में भटकते रहें,
संघर्ष के संदर्भ में संगठित होते रहें।
जीवन की दहलीज पर खड़े हैं वे,
आत्म-विश्वास की आस नहीं छोड़ने वाले हैं।
आने वाले कल की उम्मीद लिए,
सपनों की परवाह किए।
अपने कठिनाईयों का मुकाबला किए,
वे भटकते रहें, लड़ते रहें, और बढ़ते रहें।