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3 May 2024 · 1 min read

बेरंग सी जिंदगी……

बेरंग सी ज़िंदगी कहां ले जाएगी किस मोड़ पर मुड़ेगी जाकर । समय थोड़ा दूर मंजिल रुक गए थक हार कर।।‌
क्या यूं पार कर पाएंगे अपनो से यू दूर जाकर ।
सरिता सी बहती जिंदगी उबड खाबड नालो पर।।
निकलकर क्या पहुंच पाएगी बिन नाव के सागर ।
या मुड़ जाएगी वापस जहां होगी अपनो की गागर।।
कटी पतंग सी जिन्दगी देखता रहा बाह फैलाकर।
कर्तव्यों की आड़ मे आज बैठ गया गम खाकर ।।
खुश हो गया था यू ही अनजानो का साथ पाकर ।
अपने से लगने लगे थे सब साथ बैठ उठ खाकर ।।
जिन्दगी टटोलती नब्ज यू हाथ हिला हिलाकर ।
जिन्दगानी खेलती शतरंज की बाजी बिछाकर ।।

Language: Hindi
43 Views
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