Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2020 · 1 min read

बेबस बेटा ।

एक माँ दुनिया को छोड़ चली है अब
एक बेटा इस बात से बेख़बर है यहाँ
वो आंचल से खेलने में लगा है उसके
इधर उस माँ की लाश जमीं पे पड़ी है ।

उठ जाओ न ए माँ मुझें कौन संभालेगा
अपने हाथो से अब कौन खिलाएगा
मैं तो इस बात से वाकिफ़ भी नही हु
तू चली जाएगी तो मुझें बेटा कौन बुलाएगा ।

किसकी ज़िम्मेदारी है ये जो तुझे मरने दिया
कौन था वो जिसने घर मे नही रहने दिया
दर्द पीड़ा तो तू झेलती ही आयी थी
इस दर्द को तुम्हें किसने नही सहने दिया ।

– हसीब अनवर

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
परम्परा को मत छोडो
परम्परा को मत छोडो
Dinesh Kumar Gangwar
राम अवध के
राम अवध के
Sanjay ' शून्य'
कोयल (बाल कविता)
कोयल (बाल कविता)
नाथ सोनांचली
23/194. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/194. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"फासला और फैसला"
Dr. Kishan tandon kranti
जवानी
जवानी
Bodhisatva kastooriya
मानवता दिल में नहीं रहेगा
मानवता दिल में नहीं रहेगा
Dr. Man Mohan Krishna
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
एक तरफ
एक तरफ
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Sidhartha Mishra
सत्य प्रेम से पाएंगे
सत्य प्रेम से पाएंगे
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*पाऊँ पद हरि आपके , प्रभु जी करो विचार【भक्ति-कुंडलिया】*
*पाऊँ पद हरि आपके , प्रभु जी करो विचार【भक्ति-कुंडलिया】*
Ravi Prakash
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
surenderpal vaidya
मज़दूर दिवस
मज़दूर दिवस
Shekhar Chandra Mitra
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
*शीत वसंत*
*शीत वसंत*
Nishant prakhar
बिन सूरज महानगर
बिन सूरज महानगर
Lalit Singh thakur
पारिजात छंद
पारिजात छंद
Neelam Sharma
आई दिवाली कोरोना में
आई दिवाली कोरोना में
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वाक़िफ नहीं है कोई
वाक़िफ नहीं है कोई
Dr fauzia Naseem shad
"ठीक है कि भड़की हुई आग
*Author प्रणय प्रभात*
नज़्म/कविता - जब अहसासों में तू बसी है
नज़्म/कविता - जब अहसासों में तू बसी है
अनिल कुमार
♥️♥️दौर ए उल्फत ♥️♥️
♥️♥️दौर ए उल्फत ♥️♥️
umesh mehra
नाम कमाले ये जिनगी म, संग नई जावय धन दौलत बेटी बेटा नारी।
नाम कमाले ये जिनगी म, संग नई जावय धन दौलत बेटी बेटा नारी।
Ranjeet kumar patre
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
सच सोच ऊंची उड़ान की हो
सच सोच ऊंची उड़ान की हो
Neeraj Agarwal
Kabhi kabhi
Kabhi kabhi
Vandana maurya
मेरा अभिमान
मेरा अभिमान
Aman Sinha
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
Loading...