बेबस बाप
बेबस बाप
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कदमों में तेरे बिछाए हमने फूल
क्या हो गई है ? कभी हमसे भूल ।।1।।
जिंदगी सवारते संवारते तुम्हारी
शाम ढल चुकी है हमारी।।2।।
पीछे तो मुड़ के देखो
अब वक्त गुजारना है भारी।।3।।
लंबे साए से अब लगता है डर
खो न जाऊं कही इधर उधर।।4।।
जन्मदिन पे बाटी थी ढेरो खुशियां
कहा से आ गई ये अय्याशियां।।5।।
होते कभी जख्म तुम्हे,
आसुओमें हम नहाते।।6।।
रक्खा पलकों पे बिठा के तुझको
होश नही आनेवाले पल के मुझको।।7।।
तू खुश रहे यह मंशा थी हमारी
जिंदगी लूटा दी तुम पर ये सारी।।8।।
लौट के आजा,अभी वक्त है भारी
दिखेगी वरना दीवारों पे तस्वीर हमारी।।9।।
मंदार गांगल “मानस”