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24 Jul 2020 · 1 min read

बेबसी

देख ! अपनी बेबसी, ए इंसान
तू कैद है पिंजड़े में
एक पंछी की तरह।
ये तेरे ही कर्मो के नतीजे है
जो भुगत रहा तू
अपने ही बनाएं इस संसार में
जब्त रहा तू।

खूब सताया तूने
सितम किए, कई सारे
तड़प रहे निर्दोष
जीव – जंतु बेचारे
पलटवार अब कुदरत ने
कहर ढाह दी है तुझपर
शांत किया तेरी क्रूरता को
और रहम किया सबपर।

देख दशा संसार की
कसक उठे बड़ा भारी
कैसी आपदा अान पड़ी है
बिलख रहा हर नर – नारी।

अभी समय है..!
नींद से जागो
संभल जाओ इस बीमारी से,
नहीं तो अंत निश्चय ही है
इस मार्मिक महामारी से।

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 426 Views
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