बेपरवाह बचपन है।
बेपरवाह बचपन है,
खुशियों से भरी सारी जवानी है।।
तन्हाई का बुढ़ापा है,
जिंदगी की अजब ही कहानी है।।1।।
इंसान जनता है सब,
मौत पे कहां होती हुक्मरानी है।।
अमीर हो या हो गरीब,
सबको ही ये एक दिन आनी है।।2।।
जरूरत ना किसी की,
संग चलने को अपनी परछाई है।।
कैसे भूले हम उसको,
दिल में ज़िंदा जिसकी निशानी है।।3।।
चलों अब मान जाओ,
हमने अपनी सब गलती मानी है।।
अबतो ज़रा सा हंस दो,
अगर तुमको ना कोई परेशानी है।।4।।
किसी की मदद करना,
दुनियां में फरिश्ते की निशानी है।।
इन्सानियत से भरा है,
तभी नूरे मुजस्सम सी पेशानी है।।5।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ