बेनूर ….
बेनूर ….
अग्नि चिता की बहुत मग़रूर हुआ करती है
जला के ये इन्सां को आसमाँ छुआ करती है
बहुत करती है ग़रूर ये अपनी ताकत पे मग़र
ख़ाक होते ही ज़िस्म के ये बेनूर हुआ करती है
सुशील सरना
बेनूर ….
अग्नि चिता की बहुत मग़रूर हुआ करती है
जला के ये इन्सां को आसमाँ छुआ करती है
बहुत करती है ग़रूर ये अपनी ताकत पे मग़र
ख़ाक होते ही ज़िस्म के ये बेनूर हुआ करती है
सुशील सरना