बेनिशाँ
बेनिशाँ है
तेरा अहसास,
मगर बहुत गहरा है,
कहीं दूर कहीं अंदर तक,
तू मुझ में ठहरा सा है,
अक्सर छिटक कर,
ज़हन से, दिमाग़ से,
कोशिश करती हूँ,
दूर जाने की तुमसे,
पर काले बादल सी
तुम्हारी यादें,
बरसती हैं मुझ पर बेतहाशा,
और सरोबर कर देती हैं,
तेरे प्यार से,
तेरे अनजाने अहसास से……