बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
मिलना अगर नही था, तो फिर प्यार क्यूँ किया।
बिस्तर की करवटों मे, अब मुझे याद न करो।
कल रात हिचकियों ने , फिर सोने नही दिया।
राजेश तिवारी”रंजन”
बाँदा उत्तर प्रदेश
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
मिलना अगर नही था, तो फिर प्यार क्यूँ किया।
बिस्तर की करवटों मे, अब मुझे याद न करो।
कल रात हिचकियों ने , फिर सोने नही दिया।
राजेश तिवारी”रंजन”
बाँदा उत्तर प्रदेश