बेदर्द ज़माना
कितनी मासुमियत के साथ
कुछ गुनाह किया करते हैं लोग!
जहां आह कहनी चाहिए
वहां वाह किया करते हैं लोग!!
घोंट कर निहायत बेदर्दी से
एक शायर के अरमानों का गला!
खुशी से भरे हुए गीतों की
उससे चाह किया करते हैं लोग!!
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