बेड़ा गर्क ( लघुकथा)
बेड़ा गर्क-
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हैलो ,हैलो,सीमा ने चहकते हुए अपनी सहेली यामिनी से फोन पर कहा – आज मैं बहुत खुश हूँ।
यामिनी- वह तो तुम्हारी आवाज़ से लग रहा है।मेरी प्यारी सहेली अब ये तो बताओ कि फोन क्यों किया और इस खुशी का कारण क्या है?
सीमा- अरे, वही बताने के लिए तो फोन किया है।
यामिनी- तो फिर बता । मैं भी तो सुनूँ कि मेरी सहेली ने कौन – सा तीर मारा।
सीमा- मैंने एक लघुकथा लिखी थी और उसे एक समूह में पोस्ट किया था।उस पर मुझे 105 अच्छे- अच्छे कमेंट और 200 से ज्यादा लाइक मिले हैं ।मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा।
यामिनी- विश्वास तो मुझे भी नहीं हो रहा।मुझे व्हाट्स एप पर भेज।ज़रा मैं भी तो पढ़ूँ । मेरी सहेली इतनी बड़ी लेखिका हो गई और मुझे पता ही नहीं।
सीमा- ठीक है। मैं अभी भेज रही हूँ। यामिनी ने लघुकथा पढ़ने के बाद अपना सिर पीट लिया।उसे इस बात का अंदाज़ा तो पहले से था कि सीमा ने क्या और कैसा लिखा होगा। फिर उसने सीमा को फोन किया- हैलो सीमा, सीमा तो जैसे उछल पड़ी और बोली अच्छी है न।यामिनी ने कहा-बहना! बात को ध्यान से सुनो।पहले शब्दों की सही वर्तनी सीख लो।क्रिया को लिंग ,वचन और काल के अनुसार प्रयोग करना सीख लो,फिर लेखिका बनना।
सीमा- अरे ये सब मैं सीख लूंगी।तू ये बता कहानी कैसी लगी?
समारोह-6
ट्यूब वेल चल रहा था और चार लड़के बाल्टियाँ भर भर कर मैदान का छिड़काव कर रहे थे। टेंट वाले