बेटी
किस्मत से घर पर आई बेटी,
खुशियां घर पर लाई है बेटी।
जीवन की ये शुरुआत है बेटी,
खुशहाली का प्रभात है बेटी।।
करती सुन्दर बड़े काम है बेटी,
प्रिय दिव्य ज्योति नाम है बेटी।
समुद्र सी गहराई पाई है बेटी,
ये ठोस धरतीसम बन है बेटी।।
ये दुनिया की बुनियाद है बेटी,
ईश्वर कृपा से आबाद है बेटी।
माँ की कोख है सजाती बेटी,
पिता प्यार से बुलती है बेटी।।
स्वयं उपजाऊ संसार है बेटी,
तू है माँ का ही विस्तार बेटी।
तुम्हीं हो गंगा सी पावन बेटी,
खुशियों की तुम सावन बेटी।।
तू नदी की निर्मल धार हैं बेटी,
गरीब, अक्षम का प्यार है बेटी।
घर खुशहाली में शुमार हो बेटी,
परिवार का लघु संसार हो बेटी।।
मर्यादा का तू संविधान है बेटी,
हर मुश्किल में समाधान हैं बेटी।
बहुत खूबसूरत संसार हैं बेटी,
तुम्हीं प्रगति का आधार है बेटी।।
जगत का तुम भरोसा हो बेटी,
यादों का बस झरोखा हो बेटी।
‘पृथ्वीसिंह’ मंदिर की खुशी बेटी,
सुखी समृद्ध दीर्घायु बसी बेटी।।
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कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल
9467694029, 9518139200