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28 Feb 2020 · 1 min read

बेटी

दोहा – बालिका

कोख से न मार बेटी,होती कुल की लाज।
संस्कार होती बेटी,देती दिव्य समाज।।

मन कर्म से होती शुद्ध,दिल से धैर्य धरती।
पीछे नहीं हटती वे,नित सफलता मिलती।।

छोड़ जाती हैं माँ को,बन जाती ऒ दुल्हन।
करे सम्मान दो कुल की,भगे दुःख के गरहन।।

बेटी जा पिया के घर ,गुड़िया नहीं रोना ।
सजा उस घरोंदे को,साफ सुथरा रखना।।

~~~~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार-डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. ‌8120587822

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 230 Views
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