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7 Jun 2017 · 1 min read

बेटी

सुगंधा को आज पहली बार महसूस हुआ कि वो अवांछनीय ,अकेली नहीं है।
शादी को दो साल हो चले थे,हँसी खुशी के साथ दिन पंख लगा कर उड़ रहे थे ,फिर चिया का जन्म हुआ तो जैसे सुगंधा और नीलाभ के घर में बहारों ने बसेरा ही कर लिया,कितने खुश थे सब लोग,देखते ही देखते साल गुज़र गया चिया का जन्मदिवस आ पहुँचा, सारी तैयारियाँ हो चुकीं..चहल पहल के बीच नीलाभ की प्रतीक्षा हो रही थी कि एक खबर के साथ सब कुछ बदल गया..
सड़क हादसे में नीलाभ के दिवंगत होते ही चिया और सुगंधा को भाग्य हीन घोषित कर सारे परिवार ने आँखें फेर लीं,कैसी कैसी तकलीफें झेल कर चिया को उच्च शिक्षा दिलाई,जब बेटी के सपनों में रंग भरने के लिए वह अपने गहने व घर बेच रही थी तब लोग कहते थे कुछ अपने बुढ़ापे के लिए बचा लो ,बेटी पराया धन है एक दिन छोड़ जाएगी तब कहाँ एडियाँ घिसोगी। सशक्त हो अपने पैरों पर खड़ी हो गई चिया की शादी पक्की हो रही थी कि वह अचानक खड़ी हो बोली “इससे पहले कि कोई रस्म हो मैं कुछ कहना चाहती हूँ- मेरे सिवा माँ का और कोई नहीं है
मै अपनी सेलेरी का नियत हिस्सा माँ को देना चाहूँगी और सुख दुख में यदि आप माँ के लिए बेटे की तरह जिम्मेंदारी निभाने को तैयार हैं तो मैं भी आपके परिवार की जिम्मेदार बहू बनने के लिए सहर्ष तैयार हूँ”……
अपर्णा थपलियाल”रानू”

Language: Hindi
504 Views
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