Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2017 · 2 min read

बेटी

ताटंक छंद में
1
बेटी नहीं किसी से कम हैं
बेटी जग की माया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया हैं

बेटा यदि कुल का दीपक है
बेटी उसकी बाती है
बिन बेटी के नहीं घरों में
कभी रोशनी आती है

बेटा बेटी भेद न पालो
यही भाव मन भाया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

बेटी शादी होने पर भी
अपना धर्म निभाती है
बेटा यदि मुँह मोड़े घर से
बेटी आस जगाती है

बूढ़े माँ बापों की लाठी
बनकर के दिखलाया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

सुख दुख जैसे बेटा बेटी
दोनों घर की आशा है
हिन्दी अंग्रेजी जैसे दो
आज हमारी भाषा है

बेटा बेटी बहना भाई
संस्कारों से पाया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

ऊँचे पद पर बैठ बेटियाँ
सारा देश चलाती हैं
राजनीती में आगे बढ़ के
सोये भाग्य जगाती हैं

बेटी स्वाभिमान भारत का
भाव सभी मन आया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

सीमा की रक्षा करना भी
अब बेटी को आता है
तोप और बन्दूक चलाना
अब बेटी को भाता है

जल,नभ सैनिक,पायलेट भी
बनना उसको आया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

जितना आज कमाते लड़के
उससे अधिक कमाती हैं
बेटा नहीं अकेला घर में
बेटी साथ निभाती हैं

बेटी भावी जग की जननी
मातृ रूप भी पाया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

जल,नभ,भू का कोई कोना
आज न इनसे खाली है
फिर भी रुढ़िवाद पीढ़ी ने
निन्दित सोचें पाली हैं

बेटी अखिल विश्व की आशा
यही जगत ने पाया है
बेटा यदि है धूप घरों की
बेटी घर की छाया है

राजेन्द्र शर्मा राही

610 Views

You may also like these posts

दुर्जन अपनी नाक
दुर्जन अपनी नाक
RAMESH SHARMA
शाश्वत और सनातन
शाश्वत और सनातन
Mahender Singh
" आज़ का आदमी "
Chunnu Lal Gupta
प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
पूर्वार्थ
छल छल छलका आँख से,
छल छल छलका आँख से,
sushil sarna
याचना
याचना
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
पंकज परिंदा
जन पक्ष में लेखनी चले
जन पक्ष में लेखनी चले
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मज़ा आता है न तुमको बार-बार मुझे सताने में,
मज़ा आता है न तुमको बार-बार मुझे सताने में,
Jyoti Roshni
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
परिवेश
परिवेश
Sanjay ' शून्य'
3128.*पूर्णिका*
3128.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
میرے اس دل میں ۔
میرے اس دل میں ۔
Dr fauzia Naseem shad
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
Rj Anand Prajapati
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
Chaahat
दीवाना - सा लगता है
दीवाना - सा लगता है
Madhuyanka Raj
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ
Neelam Sharma
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
*शक्ति दो भवानी यह वीरता का भाव बढ़े (घनाक्षरी: सिंह विलोकित
*शक्ति दो भवानी यह वीरता का भाव बढ़े (घनाक्षरी: सिंह विलोकित
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय*
1B_ वक्त की ही बात है
1B_ वक्त की ही बात है
Kshma Urmila
*इश्क़ न हो किसी को*
*इश्क़ न हो किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
खुद से ही अब करती बातें
खुद से ही अब करती बातें
Mamta Gupta
हिंदी दिवस - विषय - दवा
हिंदी दिवस - विषय - दवा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पिटूनिया
पिटूनिया
अनिल मिश्र
मेरा भारत
मेरा भारत
Uttirna Dhar
वो सपने, वो आरज़ूएं,
वो सपने, वो आरज़ूएं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विरह रूप (प्रेम)
विरह रूप (प्रेम)
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
Loading...