बेटी
बेटी
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बेटी होती है सदा , अपने घर की मान ।
जिसके पावन कर्म पर,होता है अभिमान।।
घर में खुशियाँ दे सदा,बेटी हैअभिमान।
ऐसी बेटी का हमें ,करना निज सम्मान।।
बेटी के मन में जगे,धरम करम का आस।
बेटी को रखना सदा ,अंतर मन के पास।।
किनको प्यारा है नही,तुतले मीठे बोल।
बेटी के हर शब्द में,प्रेम भरे अनमोल।।
जिज्ञासा के प्रेम में , मिलता है आनंद।
कोहिनूर जिसके लिए,लिखताअनुपम छंद।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️