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4 Oct 2021 · 1 min read

बेटी स्वतन्त्र कली

नाजुक कली,
धूप में हँसी खिली,
घर में जन्मी ।

फूल की कली,
पली बढ़ी है बेटी,
जग में खिली ।

माली की खुशी,
परवरिश वही,
भेद न करें ।

जग का अंश,
वंश की बगिया खिले,
संसार बढ़े ।

फैले सुगंध,
फूले कली बसंत ,
सहारा बनके,

स्वतन्त्र कली,
सुख का रस देती,
सक्षम बनी ।

बेटी है हक़
सम्मान चाहे घर,
न है बेचारी ।

?✍?
*** बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।

Language: Hindi
4 Likes · 565 Views
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